Monday, December 27, 2010

ईमान  मुझे  रोके  है  जो  खींचे  है  मुझे  कुफ्र 
काबा  मेरे  पीछे  है  कलीसा  मेरे  आगे

गम-ए-हस्ती  का  'असद' किस  से  हो  जुज़  मर्ग इलाज
शंमा  हर  रंग  में  जलती  है  सहर  होने  तक

पूछते  हैं  वो  की  "ग़ालिब" कौन  है
कोई  बतलाओ  की  हम  बतलाएं  क्या  

Friday, December 24, 2010

Nida Fazli

हर  तरफ  हर  जगह  बे - शुमार  आदमी 
फिर  भी  तन्हाइयों  का  शिकार  आदमी 

Thursday, December 23, 2010

Qateel Shifai

प्यास  वो  दिल  की  बुझाने  कभी  आया  भी  नहीं
कैसा  बादल  है  जिसका  कोई  साया  भी  नहीं

बेरुखी  इस  से  बड़ी  और  भला  क्या  होगी 
एक  मुद्दत  से  हमें  उस   ने  सताया  भी  नहीं

रोज़  आता  है  दर - ए - दिल  पे  वो  दस्तक  देने 
आज  तक  हमने  जिसे  पास  बुलाया  भी  नहीं

सुन  लिया  कैसे  खुदा  जाने  ज़माने  भर  ने 
वो  फ़साना  जो  कभी  हमने  सुनाया  भी  नहीं

तुम  तो  शायर  हो  'Qateel' और  वो  इक  आम  शख्श    
उस  ने  चाहा  भी  तुझे  और  जताया  भी  नहीं
मैं  ने  पूछा  पहला  पत्थर  मुझ  पर  कौन  उठाएगा
आई  इक  आवाज़  की  तू  जिस  का  मोहसिन  कहलायेगा

पूछ  सके  तो  पूछे  कोई  रूठ  के  जाने  वालों  से
रोशनियों  को  मेरे  घर  का  रास्ता  कौन  बताएगा

लोगों  मेरे  साथ  चलो  तुम  जो  कुछ  है  वो  आगे  है
पीछे   मुद  कर  देखने  वाला  पत्थर  का  हो  जाएगा

दिन  में  हंसकर  मिलाने  वाले  चहरे  साफ़  बताते  हैं
एक  भयानक  सपना  मुझ  को  सारी  रात  डराएगा

मेरे  बाद  वफ़ा  का  धोका  और  किसी  से  मत  करना
गाली  देगी  दुनिया  तुझ  को  सर  मेरा  झुक  जाएगा

सूख  गई  जब  इन  आँखों  में  प्यार  की  नीली  झील  'क़तील '
तेरे  दर्द  का  ज़र्द  समंदर  काहे  शोर  मचाएगा

Saturday, August 7, 2010

ज़रूरी नहीं के जीने का कोई सहारा हो,
जिसे चाहा वो हमारा हो ,
डूब जाये कश्ती हमारी हमें कोई गम नहीं
बस तमन्ना है के डूबने तक साथ तुम्हारा हो |