Monday, December 27, 2010

ईमान  मुझे  रोके  है  जो  खींचे  है  मुझे  कुफ्र 
काबा  मेरे  पीछे  है  कलीसा  मेरे  आगे

गम-ए-हस्ती  का  'असद' किस  से  हो  जुज़  मर्ग इलाज
शंमा  हर  रंग  में  जलती  है  सहर  होने  तक

पूछते  हैं  वो  की  "ग़ालिब" कौन  है
कोई  बतलाओ  की  हम  बतलाएं  क्या  

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