ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे
गम-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शंमा हर रंग में जलती है सहर होने तक
पूछते हैं वो की "ग़ालिब" कौन है
कोई बतलाओ की हम बतलाएं क्या
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