मैं ने पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठाएगा
आई इक आवाज़ की तू जिस का मोहसिन कहलायेगा
पूछ सके तो पूछे कोई रूठ के जाने वालों से
रोशनियों को मेरे घर का रास्ता कौन बताएगा
लोगों मेरे साथ चलो तुम जो कुछ है वो आगे है
पीछे मुद कर देखने वाला पत्थर का हो जाएगा
दिन में हंसकर मिलाने वाले चहरे साफ़ बताते हैं
एक भयानक सपना मुझ को सारी रात डराएगा
मेरे बाद वफ़ा का धोका और किसी से मत करना
गाली देगी दुनिया तुझ को सर मेरा झुक जाएगा
सूख गई जब इन आँखों में प्यार की नीली झील 'क़तील '
तेरे दर्द का ज़र्द समंदर काहे शोर मचाएगा
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